मक़दूर[1] हो तो ख़ाक[2] से पूछूं कि ऎ लईम[3]
तू ने वह गनजहा-ए गिरां-मायह[4] क्या किये
(यदि कुछ पूछने की क़ाबलियत हो, तो मैं मिटटी से पूछूँगा कि, ओ कंजूस, तूने उन सब अनमोल खजानों का क्या किया, जिसको तेरे सुपुर्द किया था, (या जो तुझमें दफ़न है))
~ग़ालिब
[1] कुछ करने की क़ाबलियत
[2] मिटटी, बर्बादी, राख
[3] कंजूस
[4] अनमोल खजाने
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