Friday, 21 August 2020

 

आजकल गर्चे दक्कन में है बड़ी कद्र-ए-सुखन,

कौन जाये ज़ौक़पर दिल्ली की गलियां छोड़कर।

 

रहता सुख़न से नाम कयामत तलक है ज़ौक़,

औलाद से रहे यही दो पुश्त चार पुश्त।

 

अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे,

मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएँगे।

 

 ~ज़ौक़

 

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