Sunday, 2 August 2020

ह्रदय और तुम्हारा प्रेम

मेरी सम्पूर्ण धमनियों से,

समस्त शिराओं तक,

जो रक्त का प्रवाह बना हुआ है,

उस का कारण तुम हो/

और उस रक्त में घुला हुआ तुम्हारा प्रेम

मेरे अंग के प्रत्येक ऊतक में उपस्थित है/

शम्भ्वतः मेरे जीवन जीने का यही कारण है प्रर्याप्त,

हृदय का काम बस थोड़ा है,

कि वह तुम्हारे प्रेम को,

पहुंचाकर प्रत्येक अंग तक,

उस अंग को प्राणयुक्त बनाता है/

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