मेरी सम्पूर्ण धमनियों से,
समस्त शिराओं तक,
जो रक्त का प्रवाह बना हुआ है,
उस का कारण तुम हो/
और उस रक्त में घुला हुआ तुम्हारा प्रेम
मेरे अंग के प्रत्येक ऊतक में उपस्थित है/
शम्भ्वतः मेरे जीवन जीने का यही कारण है प्रर्याप्त,
हृदय का काम बस थोड़ा है,
कि वह तुम्हारे प्रेम को,
पहुंचाकर प्रत्येक अंग तक,
उस अंग को प्राणयुक्त बनाता है/
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