Monday, 16 March 2015

फिल्म संगीत और हाशिये की संस्कृति (दान सिंह (संगीतकार))

फिल्म संगीत और हाशिये की संस्कृति (दान सिंह (संगीतकार))
दान सिंह उन भूले बिसरे संगीतकारों में हैं जिन्होंने हिंदी फिल्म संगीत के स्वर्णयुग में कुछ अमित गीतों की छाप छोड़ी है/ मूलतः जयपुर निवासी जो कि ताउम्र आल इंडिया'रेडियो की जयपुर शाखा से जुड़े रहने के बावजूद कुछ फिल्मों को अपने संगीत से सँवारा है / आगे उनकी फिल्म माय लव (1970 ) का गीत जो की मुकेश ने गया है और शशि कपूर पर फिल्माया गया है / साथ में है, शर्मीला टैगोर , मदन पूरी भी / इस फिल्म की रिकॉर्डिंग के वक्त मुकेश ने दान सिंह से कहा था की यह गाना सदा याद किया जायेगा / गीत के बोल आनंद बक्शी के हैं ,जो कि 70 के दशक के सबसे ज्यादा सुपरहिट गीत लिखने के लिए जाने जाते हैं और राजेश खन्ना(अभिनय), सलीम- जावेद (कहानी और पठकथा), लक्ष्मीकांत -प्यारेलाल , आर डी बर्मन, कल्याणजी -आनंदजी (संगीतकार), के साथ साथ प्रसिद्धि पायी /



वो तेरे प्यार का ग़म, एक बहाना था सनम
अपनी किस्मत ही कुछ ऐसी थी के दिल टूट गया


ये ना होता तो कोई दूसरा ग़म होना था
मैं तो वो हू जिसे हर हाल में बस रोना था
मुस्कुराता भी अगर, तो छलक जाती नज़र
अपनी किस्मत ही कुछ ऐसी थी के दिल टूट गया


वर्ना क्या बात है तू कोई सितमगर तो नही
तेरे सीनेमें भी दिल है, कोई पत्थर तो नही
तूने ढाया है सितम, तो यही समझेंगे हम
अपनी किस्मत ही कुछ ऐसी थी के दिल टूट गया


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ज़िक्र होता है जब कयामत का
तेरे जलवों की बात होती है
तू जो चाहे तो दिन निकलता है
तू जो चाहे तो रात होती है


तुझको देखा है मेरी नज़रोंने
तेरी तारीफ हो मगर कैसे
के बने ये नज़र ज़ुबां कैसे
के बने ये ज़ुबान नज़र कैसे
ना ज़ुबां को दिखाई देता है
ना निगाहो से बात होती है


तू चली आये मुस्कुराती हुयी
तो बिख़र जाये हरतरफ कलियाँ
तू चली जाये उठके पहलू से
तो उजड़ जाये फूलोंकी गलियाँ
जिस तरफ होती है नजर तेरी
उस तरफ कायनात होती है


तू निगाहों से ना पिलाए तो
अश्क़ भी पीनेवाले पीते है
वैसे जीने को तो तेरे बिन भी
इस ज़माने मे लोग जीते है
ज़िंदगी तो उसी को कहते है
जो बसर तेरे साथ होती है
 फिल्म : माय लव , गीतकार : आनंद बक्शी ,  संगीत : दान सिंह एंड गायक: मुकेश
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दान सिंह का इन दोनों गानों के अतिरिक्त कोई और गीत प्रसिद्धि को प्राप्त नहीं हुआ/

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